computer virus kya hai इससे कैसे बचे

क्या आप जानते है कि computer virus kya hai और यह किस प्रकार के होते है। वायरस से कंप्यूटर में क्या नुकसान हो सकते है और वायरस से कंप्यूटर को किस तरह सुरक्षित रखा जा सकता है। इन सभी की जानकारी इस लेख में दी गई है-

computer virus kya hai

कंप्यूटर वायरस एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है, जो सिर्फ कंप्यूटर के लिए ही बनाया गया है। लेकिन इस वायरस का काम किसी प्रकार की सहायता पहुंचाना नहीं होता बल्कि यह कंप्यूटर के अन्य प्रोग्राम, डाटा आदि को छती पहुंचाने का काम करता है। अतः यूजर कभी भी कंप्यूटर में वायरस नहीं रखना चाहेगा लेकिन यह वायरस बिना यूजर की परमिशन के ही कंप्यूटर में प्रवेश कर जाते है और कंप्यूटर को छती पहुचाना शुरू कर देते हैं।

कंप्यूटर वायरस की एक विशेषता यह भी होती है कि वायरस अपनी कॉपी स्वयं ही बनाता है जैसे ही वायरस से संक्रमित कंप्यूटर से कोई नए डिवाइस को कनेक्ट किया जाता है तो वायरस उस डिवाइस मे भी कॉपी करके प्रवेश कर लेता है। एवं कंप्यूटर वायरस फयवर नेटवर्क (ईन्टरनेट) के द्वारा दुनिया भर के कंप्यूटर में पहुंच सकते है। 

कंप्यूटर वायरस कभी भी कंप्यूटर के हार्डवेयर को नुकसान नहीं पंहुचा पाते है। यह सिर्फ सॉफ्टवेयर और डाटा आदि को ही टारगेट करते है। अतः यह बात बहुत ही मायने रखती है की आपके कंप्यूटर में कोनसा ऑपरेटिंग सिस्टम है। क्योंकि कंप्यूटर वायरस को ऑपरेटिंग सिस्टम के अनुसार ही डिज़ाइन किया जाता है। इसलिए जो वायरस कंप्यूटर के माइक्रोसॉफ्ट विंडोज को नुकसान पहुंचा सकते है जरूरी नहीं कि वह वायरस Other ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे Linux ऑपरेटिंग सिस्टम या Other डिवाइस जैसे मोबाइल आदि को भी नुकसान पहुंचा पाए।

अब एक सवाल तो जरूर आता है कि आखिर यह कंप्यूटर वायरस क्यों बनाया गया इसको बनाने का क्या इरादा हो सकता है। शायद आप इसका जवाब जानते ही होंगे कि वायरस बनाने के पीछे एक शैतानी नियत शामिल है, जिसका उद्देश्य लोगो को परेशान करना या अपनी एक अलग छाप बनाना या कह सकते है की फेमस होने के लिए और साथ में पैसे कमाने के लिए। कुछ गलत आपराधिक गतिविधियाँ करने के लिए जैसे किसी के pc की निगरानी करना या कंप्यूटर को हैक कर लेना आदि कई कारण हो सकते है।

वायरस से कंप्यूटर में किस तरह के नुकसान हो सकते है

कंप्यूटर वायरस  कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर प्रोग्राम्स आदि को नुकसान पहुंचाते है। हार्ड डिक ड्राइव में जो डाटा हम Save करके रखते है वायरस उन डाटा को भी हानि पहुंचा सकता है। जिसके कारण वह डाटा करप्ट भी हो सकता है और यदि डाटा करप्ट हो जाता है तो शायद ही आपके काम आए। और अधिकतर देखा गया है कि वायरस हमारे कंप्यूटर को स्लो कर देते है जिसके कारण कंप्यूटर में कुछ भी काम कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसके साथ ही वायरस द्वारा कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम को भी करप्ट कर देते हैं। जिसके कारण कंप्यूटर को फॉर्मेट कर नया ऑपरेटिंग सिस्टम को इंस्टाल करने की आवश्यकता होती है। 

Malware

मैलवेयर एक अनवांटेड सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो की हमारे कंप्यूटर लैपटॉप के लिए ठीक नहीं होते है क्योंकि यह वायरस ही होते है यह unauthorized वेबसाइट से डाउनलोड गेम्स, Movies, Software के साथ कंप्यूटर में आ जाते है। इसके अलावा ऑफलाइन में पेनड्राइव CD आदि से भी ये कंप्यूटर में आ जाते है।

मैलवेयर की वजह से हमारे कंप्यूटर का डाटा, पर्सनल इनफॉर्मेशन आदि चोरी हो सकती है। Unauthorized पर्सन मैलवेयर को दूसरो के कंप्यूटर में भेजते है जिससे किसी प्रकार की इनफॉर्मेशन चुराई जा सके। इसके साथ यह कंप्यूटर की स्पीड कम कर देते है। और फाइल्स आदि को भी करप्ट कर सकते है।

मैलवेयर के प्रकार

Worms

Worms एक तरह का वायरस ही होता है इसकी विशेषता यह है कि वर्म्स अपनी कॉपी बनाता रहता है और यह इंटरनेट और पेन ड्राइव आदि के माध्यम से बहुत तेजी से फैलता जाता है। यह वायरस की तरह प्रोग्राम के साथ Attach नहीं होता है। Worms कंप्यूटर में हार्डडिस्क की स्पेस को Consume करता है Ram Memory को Consume करता है जिसके कारण कंप्यूटर स्लो चलता है।

Trojons 

Trojon एक ऐसा प्रोग्राम है जो हमें देखने में लगता है कि यह हमारे काम का हो सकता है या कहे कि बहुत ही ज्यादा यूज़ फुल दिखाई देता है लेकिन होता उसका उल्टा है उस यूज़ फुल प्रोडक्ट के साथ कुछ हानिकारक प्रोग्राम (Trojons) छुपे रहते है। जैसे ही कंप्यूटर में इसकी एंट्री होती है यह अपना काम शुरू कर देते है। इसके उदाहरण में हम देख सकते है स्पीड बूस्टर, कई बार फ्री एंटीवायरस के साथ भी Trojon आ सकते है और कुछ फ्री सॉफ्टवेयर जिसमे कंपनी द्वारा सॉफ्टवेयर के साथ Trojon को जोड़ दिया जाता है।

Spyware 

यह एक सॉफ्टवेयर है जो कि आपके कंप्यूटर में इसलिए इंस्टाल किया जाता है कि उस पर्टिकुलर कंप्यूटर में क्या एक्टिविटी हो रही है उन सभी की जानकारी कलेक्ट करने के लिए। एक प्रकार से कह सकते है कि यह Spyware एक जासूसी करने वाला सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है। Spyware नॉर्मली दो टाइप के होते है –

1. Key Logger

2. Cookies

Key Logger – कोई पर्सन आपकी जासूसी करना चाहता है तो वह Key Logger सॉफ्टवेयर को किसी तरह आपके कंप्यूटर में इंस्टाल कर देगा।  इसकी खासियत होती है कि यह कंप्यूटर में इंस्टाल हो जाता है और दिखाई भी नहीं देता है। और जो भी एक्टिविटी आप करते है वह पूरी जानकारी उस पर्सन तक पहुंचाता रहता है। इस तरह का सॉफ्टवेयर मोबाइल में भी यूज़ होता है।

Cookies – जब हम अपने इंटरनेट ब्राउज़र से किसी वेबसाइट पर जाते है तो वह वेबसाइट द्वारा हमारे इंटरनेट ब्राउज़र में कुछ Cookies प्रोग्राम को इंस्टाल कर दिया जाता है। जिसकी वजह से हम इंटरनेट ब्राउज़र में जो भी एक्टिविटी करते है वह जानकारी उस वेबसाइट तक पहुंच जाती है। अपने कई बार देखा होगा कि आप किसी शॉपिंग वेबसाइट पर कोई शर्ट देख रहे है तो आपको बाद में उसी टाइप के ऐड देखने को मिल जाते है। 

Cookies को खास तौर से Advertisement के लिए ही यूज़ किया जाता है।

और भी कई मैलवेयर होते है – Ransomware, Adware, Spoof, Tropdoors

कंप्यूटर वायरस का इतिहास

सर्व प्रथम वायरस क्रीपर सन 1971 में आया था। उसके बाद Elk Cloner नाम से एक और वायरस सन 1982 में Richard Skrenta द्वारा खोजा गया। Richard Skrenta ने 15 साल की उम्र में ही इस वायरस की खोज की थी। इसके बाद कई वायरस आते रहे। फिर सन 2000 में लब लेटर नाम के वायरस दुनिया भर में इंटरनेट के माध्यम से बहुत ही तेजी से फैला और कई सारे कंप्यूटर्स को संक्रमित किया।

आज के समय की बात करे तो अब वायरस बहुत ही एडवांस और पहले से ज्यादा खातक होते जा रहे है। और देखा जाए तो वायरस जो हैकर्स होते है उनका प्रमुख हतियार बन गया है।

वायरस के प्रकार

Resident Virus

जैसा कि नाम है इसका जो कन्ही रहता हो। इस प्रकार के वायरस कंप्यूटर सिस्टम की मेमोरी में रहते है और जब कंप्यूटर ऑन किया जाता है यह वायरस एक्टिवेट हो जाते है। और जो फाइल ओपन करते है या ओपन है उन सभी को यह वायरस इनफेक्टेट करता है। 

Direct Action Virus

यह वायरस यदि आपके कंप्यूटर के किसी फाइल या फोल्डर में है तो यह वायरस तब एक्शन में आता है जब उस फाइल या फोल्डर को ओपन कर दिया जाए।

Overwrite Virus

Overwrite का मतलब पुरानी चीज के बदले नई चीज को स्थापित करने से होता है। यह वायरस आपके फाइल और डाटा को डिलीट कर देता है।

Boot Sector Virus

यह वायरस कंप्यूटर की हार्डडिस्क के boot sector पर अटैक करता है। जिसके कारण कंप्यूटर का ऑपरेटिंग सिस्टम क्रैश हो सकता है और इस तरह के वायरस को समाप्त करने के लिए कंप्यूटर को फॉर्मेट करना होता है।

Macros Virus

इस प्रकार के वायरस किसी पार्टिकुलर फाइल फॉर्मेट को टारगेट करके अटैक करते है जैसे doc file आदि।

Computer में Virus है कैसे पहचाने 

कैसे पता करे कि कंप्यूटर में वायरस हैं या नहीं। यह जानने के लिए कंप्यूटर में कुछ प्रोब्लेम्स होती है जिनके आधार पर हम समझ सकते है कि कंप्यूटर वायरस से इंफेक्टेड हो चुका है या नहीं जैसे –

  1. कंप्यूटर यदि स्लो चल रहा है तो सम्भावना है कि कंप्यूटर में वायरस हो सकते हैं। लेकिन कंप्यूटर स्लो चलने के और भी कई कारण हो सकते है। उन सभी कारणों को भी जरूर देखे। 
  2. कंप्यूटर यदि बार बार हैंग हो रहा है, तो कंप्यूटर में वायरस हो सकता हैं। 
  3. कंप्यूटर की हार्डडिस्क में स्टोर डाटा, फाइल एंड फोल्डर का करप्ट या डिलीट होना। 
  4. कंप्यूटर के स्क्रीन पर कोई Pop-ups बार बार शो होना।
  5.  कंप्यूटर में इंस्टाल्ड प्रोग्राम करप्ट होना या डिलीट होना

कंप्यूटर को वायरस से किस प्रकार सुरक्षित रख सकते है

कंप्यूटर वायरस से बचने के लिए कुछ सावधानियां रखने की जरूरत होती है। जिनका हमेशा ध्यान रखा जाए तो कंप्यूटर को वायरस से बचाया जा सकता है।

एंटीवायरस

अपने कंप्यूटर में एक अच्छा एंटीवायरस को जरूर इंस्टाल कर के रखे और समय समय पर एंटीवायरस को अपडेट करते रहें। जिसकी वजह से यदि कोई वायरस कंप्यूटर में एंट्री करते टाइम ही एंटीवायरस द्वारा नष्ट कर दिया जाएगा। इसके लिए जरूरी है की एंटीवायरस लाइसेंस वर्जन होना चाहिए और रेगुलर इंटरनेट से अपडेट भी होना चाहिए।

ईमेल अटैचमेंट

आम तौर पर देखा गया है कि ईमेल अटैचमेंट के द्वारा भी कंप्यूटर वायरस को भेजा जाता रहा है। अतः जब भी आपके पास ऐसा कोई ईमेल आए जिसमे ईमेल सेंडर के बारे में कोई जानकारी नहीं है तो उस मेल में जो अटैचमेंट है उसको पहले एंटीवायरस से स्कैन करे उसके बाद ही ओपन करे। 

पेनड्राइव

आज के समय डाटा ट्रांसफर करने के लिए पेनड्राइव का उपयोग बहुत ही ज्यादा किया जा रहा है। जिसमे हम बिना सोचे समझे किसी भी कंप्यूटर में पेनड्राइव को लगा देते है। और इस प्रकार यदि किसी कंप्यूटर में वायरस हुआ तो वह वायरस कंप्यूटर से पेनड्राइव में चले जाते है और उस पेनड्राइव को जिस जिस कंप्यूटर में लगाया जाएगा वह वायरस उन सभी कंप्यूटर को इंफेक्टेड कर देगा। 

और यदि cd या dvd कि बात करे तो इसमें एक अंतर रहता है cd या dvd में एक बार डाटा को फिड किया जाता है और उस डाटा का बार बार cd या dvd से उपयोग में लिया जाता है इसलिए cd या dvd

कि जब cd या dvd को बर्न किया जाता है मतलब जब cd या dvd में डाटा फिड किया जाता है तब यदि जिस कंप्यूटर से cd या dvd को बर्न किया जा रहा है उसमे वायरस होते है और यदि cd या dvd बर्न करते हुए डाटा के साथ वायरस भी cd या dvd में चले जाते है तो फिर वह cd या dvd me हमेशा के लिए वायरस रहेंगे वह कभी भी समाप्त नहीं होंगे, और जब भी जिस कंप्यूटर में उस cd को लगाया जाएगा वह वायरस कंप्यूटर में जा सकते है। लेकिन यदि एक बार cd या dvd बर्न हो जाती है और बर्न करते समय उसमे वायरस नहीं होते है तो फिर वह सुरक्षित रहती है।

Unauthorized website

आप यदि कंप्यूटर का उपयोग करते है तो इंटरनेट का उपयोग जरूर करते होंगे। अतः इंटरनेट के माध्यम से हमारे कंप्यूटर में किसी भी तरह वायरस नहीं आए इसके लिए हमे यह ध्यान रखना होगा कि किसी भी unauthorised website से कुछ भी डाउनलोड करने से बचना होगा। जैसे मूवी, गाने, सॉफ्टवेयर आदि डाउनलोड करने के साथ वायरस भी हमारे कंप्यूटर में प्रवेश करने की संभावना बढ़ जाती है। 

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