what is stock market in hindi? स्टॉक मार्केट क्या है? संपूर्ण जानकारी

Stock market kya hai और किस प्रकार इसमें काम किया जाता है – शेयर बाजार एक ऐसी जगह है जहां बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर को खरीदने एवम् बेचने के व्यापार हेतु निश्चित समय के अंतर्गत लोग आते है।

 

शेयर बाजार क्या है What is Stock Market

शेयर बाजार एक ऐसा बाजार है जहाँ कम्पनियों के शेयर का व्यापार करने के लिए लोग अपनी सहमति के साथ अपने ब्रोकर की सहायता से व्यापार करते है। भारत में दो बाजार हैं जिनको स्टॉक एक्सचेंज कहा जाता है

(1) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज

(2) बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज

सर्वप्रथम कंपनियों को इन स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर करना होता है उसके बाद ही जो कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट है उनके शेयर यहां से खरीदे एवं बेचे जाते हैं और यह कार्य स्टॉक ब्रोकर की मध्यस्थता में होता है। मतलब यह है कि जिस व्यक्ति को शेयर बाजार में कार्य करना होता है तो सबसे पहले उसको स्टॉक ब्रोकर के पास अपना अकाउंट ओपन करना होता है फिर स्टॉक ब्रोकर के मदद से शेयर बाजार में शेयर की डील कर सकते है। स्टॉक ब्रोकर के पास करता और विक्रेता दोनों ही अपने सौदे डालते हैं और स्टॉक ब्रोकर करता और विक्रेता को मिलने का कार्य करता है। डीमैट अकाउंट के द्वारा किसी भी कम्पनी के  स्टाॅक या शेयर खरीद व बेच सकते है। और इस कार्य को हम ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट आदि शब्दों के नाम से जानते है। और यह ट्रेडिंग के कार्य स्टॉक एक्सचेंज के सर्वर से जुड़े कंप्यूटर के द्वारा ऑनलाइन बहुत  ही आसानी से किया जाता है। इस प्रक्रिया से आप यदि शेयर का लेन-देन करते है तो आपको यह बिलकुल भी नहीं पता होता है की अपने किस व्यक्ति के साथ यह लेन – देन किया है। इस तरह लाखो व्यक्ति एक साथ कई सारे शेयर की लेन देन करते रहते है।

स्टॉक ब्रोकर क्या है

स्टॉक ब्रोकर एक मध्यस्थ होता है जो करता और विक्रेता को मिलने का कार्य करता है इसके बदले वह अपनी कुछ फीस चार्ज करता है और जैसा की आज के समय में प्रत्येक स्टॉक ब्रोकर डिजिटल रूप से एक वेबसाइट और मोबाइल एप्लीकेशन के द्वारा यह कार्य को बड़ी आसानी से किया जाता है

शेयर बाजार में शेयर दो तरह से खरीद सकते है। एक प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट 

प्राइमरी मार्केट 

प्राइमरी मार्केट वह होता है जिसमे कंपनी पहली बार अपने शेयर बाजार में बेचती है। और इसमें कोई भी व्यक्ति सीधे उसी कंपनी से शेयर खरीदता है और उन शेयर की कीमत का भुगतान भी सीधे कंपनी में होता है। मतलब यह की किसी भी व्यक्ति द्वारा कंपनी से डायरेक्ट शेयर खरीदना ही प्राइमरी मार्केट कहलाता है। और इसको हम – IPO (Initial Public Offering) कहते है। 

सेकेंडरी मार्केट 

सेकेंडरी मार्केट से मतलब है की जिसमे कई सारे लोग आपस में शेयर खरीदते और बेचते रहते है।  उनके द्वारा बाजार में अन्य लोगो के साथ खरीदना बेचना चलता रहता है। सेकेंडरी मार्केट में कंपनी का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है और ना ही इस तरह के लेन – देन में कंपनी का कोई फायदा या नुकसान होता है। 

शेयर क्या है

शेयर एक सबूत या प्रमाण है जो आपकी हिस्सेदारी को दर्शाता है। साधारण भाषा में शेयर का मतलब हिस्सा या अंश होता है। जिसके द्वारा कंपनी अपनी हिस्सेदारी शेयर के रूप में रखती है।  जैसे उदाहरण के लिए मान लेते है की किसी कंपनी की वैल्यू 1 लाख रुपए है और वह कंपनी 10 हजार शेयर निर्धारित करती है तो उस कंपनी के एक शेयर की वैल्यू 10 रुपए होगी। और जिस व्यक्ति के पास जितने शेयर होते है वह उस कंपनी में उतने प्रतिशत से मालिक होता है। और जो व्यक्ति शेयर खरीद कर अपने पास रखता है उसे शेयरधारक कहते है। 

क्योकि शेयरधारक कंपनी के मालिक कहे जाते है इसलिए कुछ नियम जो लागु होते है उनको समझना भी जरुरी है:-

  • शेयरधारक को शेयर पर व्याज नहीं मिलता है बल्कि शेयर पर बोनस मिलता है। 
  • यदि कंपनी भविष्य में कभी भी दिवालिया हो जाती है तो शेयरधारक के शेयर की कीमत भी समाप्त हो जाएगी अथार्त शेयरधारक के निवेश किये हुए सारे रुपए डूब जायेगे। और इसके विपरीत यदि कंपनी बहुत ज्यादा लाभ कमाने लगती है तो शेयर की कीमत बढ़ने लगती है। जिससे शेयरधारक को भी फायदा होता है

कम्पनी शेयर क्यो बेचती है?

कोई भी कंपनी अपने व्यापर में किसी और को क्यों लाभ का हिस्सेदार बनाती हैं जबकि वह कम्पनी अच्छा काम करके लाभ कमा रही है? 

जब कंपनी को बहुत ज्यादा फंड की आवश्यकता होती है अब इतने रूपये एकत्रित करने के दो उपाय है पहला बैंक लोन एवं दूसरा शेयर आबंटित करना यदि कम्पनी बैंक से लोन लेती है तो बैंक अपने लोन की रकम पूरी व्याज सहित बसूल करने का अधिकार रखती है चाहे आपकी कम्पनी लाभ कमा रही हो या हानि। कम्पनी को बैंक लोन व्याज सहित अदा करना ही पडता है, और यदि कंपनी में लगातार बहुत नुकसान होता है जिसके कारण कंपनी की आर्थिक स्थिति ख़राब होती है या कंपनी का बिज़नेस बंद होने की नौबत आ जाती है तो ज्यादा बैंक लोन होने के कारण कंपनी की सारी संपत्ति समाप्त होने का खतरा रहता है। और साथ में लोन पर ब्याज के भुगतान की बजह से कंपनी के प्रॉफिट में भी भरी कमी आती है। जबकि यदि कम्पनी शेयर आवंटित कर रूपये एकत्रित करती है तो कंपनी को उस रकम पर ब्याज नहीं देना होता है। जिससे कंपनी पर ज्यादा बोझ नहीं बढ़ता है। और दूसरी बात यह की जब कंपनी में नुकसान हो रहा हो तो शेयरधारक को बाटने बाला बोनस भी रोक सकती है। और जब कंपनी दिवालिया  होने की कंडीशन में भी आ जाती है तब भी कंपनी पर शेयरधारक को कुछ लौटने की जिम्मेदारी नहीं होती है। इस तरह कंपनी भविष्य में होने बाले फाइनेंसियल खतरे से भी बच जाती है। 

शेयर धारक को शेयर खरीदने के फायदे

कोई भी व्यक्ति जब किसी कम्पनी के शेयर इसलिये खरीदता है कि वह कम्पनी बहुत ही अच्छी स्थिति में है और उसका प्रोडक्ट भी कस्टमर बहुत पसंद करते है तो यह उम्मीद की जाती है कि वह कम्पनी आगे भी अच्छा काम करती रहेगी और यदि वह कम्पनी भविष्य में भी अच्छी तरह से कार्य करती रहती है तो कम्पनी के शेयरधारको को समय समय पर बोनस भी प्राप्त होता है एवं सबसे जरुरी कम्पनी की ग्रोथ बढ़ने पर कंपनी के शेयर के मूल्य में भी बृद्धि होती रहती है। और कभी भी उस कम्पनी के शेयर को उंचे भाव में बेच कर शेयरधारक अपनी लगाई हुई रकम से कई गुना अधिक रूपये कमा सकते है। 

शेयर बाजार के सेगमेंट

अब हम जानते हैं कि शेयर बाजार में कितने तरह से कार्य होते हैं या हम कितने तरह की ट्रेडिंग कर सकते हैं।

इक्विटी

जब किसी कंपनी के शेयर खरीद कर कुछ दिन, महीने या सालो तक अपने पास होल्डिंग रखते है तो यह इक्विटी में काम करना कहलाता है। इसमें शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग और लॉन्ग टर्म के शब्द के नाम से भी जाना जाता है। लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग को इन्वेस्टमेंट भी कहा जाता है।

Intraday ट्रेडिंग

Intraday ट्रेडिंग में कोई भी सौदा एक ही दिन में समाप्त करना होता है उसे intraday ट्रेडिंग कहा जाता है जैसे की मार्केट का समय सुबह 9.15 से 3.30 तक होता है तो इस बीच में कोई भी कोई भी सौदा लेना है और उसमे से बाहर भी निकालना है। Intraday ट्रेडिंग में गिरते मार्केट या बढ़ते मार्केट किसी भी दिशा में ट्रेड ले सकते है।

ऑप्शन ट्रेडिंग

ऑप्शन ट्रेडिंग में व्यापारिक समझौतों (contracts) की खरीददारी और बिक्री की जाती है, जिन्हें ऑप्शन कहा जाता है। जो कि निश्चित समयावधि के लिए होता है। ऑप्शन ट्रेडिंग एक तरह से शर्त के समान है

ऑप्शन दो प्रकार होते हैं:

  1. कॉल ऑप्शन (Call Option): इसमें खरीददार एक निश्चित मूल्य और समय पर संपत्ति (स्टॉक, मुद्रा, इत्यादि) को खरीदने का अधिकार रखता है।
  2. पुट ऑप्शन (Put Option): इसमें खरीददार एक निश्चित मूल्य और समय पर संपत्ति (स्टॉक, मुद्रा, इत्यादि) को बेचने का अधिकार रखता है।

ऑप्शन ट्रेडिंग से व्यापारकर्ता बाजार में जोखिम नियंत्रित कर सकते हैं जैसे यदि लगता है कि होल्डिंग स्टॉक में गिरावट आ सकती है तो उस स्टॉक की पुट ऑप्शन को खरीद कर जोखिम कम किया जा सकता है।

फॉरेक्स ट्रेडिंग

फॉरेक्स ट्रेडिंग में एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा के साथ विनिमय किया जाता है और इसके माध्यम से लाभ कमाने का प्रयास करता है। इसे फॉरेक्स बाजार भी कहा जाता है और यह एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजार है जहां विभिन्न देशों की मुद्राएं एक दूसरे के साथ विनिमय की जाती हैं।

Conclution

शेयर बाजार ऐसी जगह जहां लाखों, करोड़ो रुपए बनाए जा सकते है लेकिन यदि आप को सही ज्ञान नहीं है तो कमाने की जगह नुकसान भी हो जाता है। इसलिए सीखो और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर बनो इसमें पैसा स्लो बनेगा लेकिन बनेगा। ऑप्शन ट्रेडिंग व intraday ट्रेडिंग करने से बचना चाहिए।

आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को शेयर करिये।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top